हैपी बर्थ डे बिग बी: अमिताभ के यादगार 11 क़िरदार

मुंबई: हिंदी सिनेमा की कोई भी कहानी अमिताभ बच्चन के बिना अधूरी है। यूं तो 100 साल पूरे कर चुके भारतीय सिनेमा में कई दिग्गज कलाकार आए, लेकिन अमिताभ बच्चन जैसी लोकप्रियता और मुक़ाम सबको नसीब नहीं हुआ। सदी के महानायक से नवाज़े चुके बिग बी ने आज उम्र का 72 वां पड़ाव छू लिया है। इन 72 सालों में 45 साल अमिताभ बच्चन ने फ़िल्म इंडस्ट्री को दिए हैं।

अमिताभ आज जिस मुक़ाम पर हैं, उसकी शुरूआत संघर्ष के साथ हुई। 1969 की फ़िल्म सात हिंदुस्तानी से अमिताभ ने डेब्यू किया, लेकिन 11 अक्टूबर को जन्मे अमिताभ को क़ामयाबी मिली 11 फ़िल्मों के बाद। 1973 की फ़िल्म ज़ंजीर ने अमिताभ को हिंदी सिनेमा का एंग्री यंग मैन बना दिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बिग बी को जन्म दिन की बधाई, और यहां पेश हैं उनके 11 यादगार करेक्टर…

1971 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने राजस्थानी गूंगे शख़्स का क़िरदार निभाया।
रेशमा और शेरा- राजस्थानी बैकग्राउंड पर बेस्ड 1971 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने गूंगे शार्प शूटर छोटू का क़िरदार निभाया।
जंजीर- 1993 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने इंस्पेक्टर विजय खन्ना का रोल निभाया।
जंजीर- 1993 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने इंस्पेक्टर विजय खन्ना का रोल निभाया।
सौदागर- ये 1973 में आई। फ़िल्म में अमिताभ ने गांव में गुड़ बेचने वाले व्यापारी का रोल निभाया। इस फ़िल्म को ऑस्कर अवॉर्ड्स की विदेशी भाषा केटेगरी में देश की ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया था।
सौदागर- ये 1973 में आई। फ़िल्म में अमिताभ ने गांव में गुड़ बेचने वाले व्यापारी मोती का रोल निभाया। इस फ़िल्म को ऑस्कर अवॉर्ड्स की विदेशी भाषा केटेगरी में देश की ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया था।
दीवार- 1975 की ये फ़िल्म हिंदी सिनेमा की कल्ट फ़िल्म मानी जाती है। अमिताभ ने इस फ़िल्म में विजय वर्मा नाम का क़िरदार निभाया, जो हालात के चलते मजदूर से डॉन बन जाता है।
दीवार- 1975 की ये फ़िल्म हिंदी सिनेमा की कल्ट फ़िल्म मानी जाती है। अमिताभ ने इस फ़िल्म में विजय वर्मा नाम का क़िरदार निभाया, जो हालात के चलते मजदूर से डॉन बन जाता है।
शोले- हिंदी सिनेमा की ये सदाबहार फ़िल्म आई 1975 में। दो दोस्तों की इस कहानी में अमिताभ ने जय का यादगार क़िरदार निभाया, जबकि वीरू थे धर्मेंद्र।
शोले- हिंदी सिनेमा की ये सदाबहार फ़िल्म आई 1975 में। दो दोस्तों की इस कहानी में अमिताभ ने जय का यादगार क़िरदार निभाया, जबकि वीरू थे धर्मेंद्र।
डॉन- 1978 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने डबल रोल निभाया। एक सीधा-सादा विजय और दूसरा डॉन। डॉन की मौत के बाद विजय को डॉन की जगह लेनी पड़ती है।
डॉन- 1978 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने डबल रोल निभाया। एक सीधा-सादा विजय और दूसरा डॉन। डॉन की मौत के बाद विजय को डॉन की जगह लेनी पड़ती है।
कुली- 1983 की इस फ़िल्म में अमिताभ ने रेल्वे स्टेशन पर काम करने वाले कुली इक़बाल का रोल निभाया। ये फ़िल्म इसलिए भी यादगार है, क्योंकि इसकी शूटिंग के दौरान अमिताभ एक हादसे का शिकार हुए थे, जिसमें उनकी जान जाते-जाते बची।
कुली- 1983 की इस फ़िल्म में अमिताभ ने रेल्वे स्टेशन पर काम करने वाले कुली इक़बाल का रोल निभाया। ये फ़िल्म इसलिए भी यादगार है, क्योंकि इसकी शूटिंग के दौरान अमिताभ एक हादसे का शिकार हुए थे, जिसमें उनकी जान जाते-जाते बची।
शहंशाह- 1988 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने पुलिस इंस्पेक्टर विजय श्रीवास्तव का रोल निभाया, जो रात को भेष बदलकर सड़कों पर निकलता है, और लोगों को जुल्म से बचाता है।
शहंशाह- 1988 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने पुलिस इंस्पेक्टर विजय श्रीवास्तव का रोल निभाया, जो रात को भेष बदलकर सड़कों पर निकलता है, और लोगों को जुल्म से बचाता है।
खाकी- 2004 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने रिटायरमेंट के क़रीब पहुंच चुके डीसीपी अनंत कुमार श्रीवास्तव का रोल निभाया। ज़ंजीर का दमदार इंस्पेक्टर विजय इस फ़िल्म में बूढ़ा और मजबूर डीसीपी बन गया। इस रोल में अमिताभ ने कमाल का अभिनय किया।
खाकी- 2004 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने रिटायरमेंट के क़रीब पहुंच चुके डीसीपी अनंत कुमार श्रीवास्तव का रोल निभाया। ज़ंजीर का दमदार इंस्पेक्टर विजय इस फ़िल्म में बूढ़ा और मजबूर डीसीपी बन गया। इस रोल में अमिताभ ने कमाल का अभिनय किया।
ब्लैक- 2005 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने देबराज सहाय नाम के शिक्षक को रोल निभाया, जो एक ब्लाइंड, म्यूट और डैफ लड़की को पढ़ाता है, और बाद में देबराज को अल्ज़ाइमर हो जाता है। अमिताभ की शानदार परफॉर्मेंसंज में से एक है ये क़िरदार।
ब्लैक- 2005 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने देबराज सहाय नाम के शिक्षक को रोल निभाया, जो एक ब्लाइंड, म्यूट और डैफ लड़की को पढ़ाता है, और बाद में देबराज को अल्ज़ाइमर हो जाता है। अमिताभ की शानदार परफॉर्मेंसंज में से एक है ये क़िरदार।
पा- 2009 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने अपनी सभी परफॉर्मेंसेज को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने जेनेटिक डिस्ऑर्डर  प्रोजेरिया के शिकार 13 साल के बच्चे ऑरो का रोल निभाया।
पा- 2009 में आई इस फ़िल्म में अमिताभ ने अपनी सभी परफॉर्मेंसेज को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने जेनेटिक डिस्ऑर्डर प्रोजेरिया के शिकार 13 साल के बच्चे ऑरो का रोल निभाया।

अमिताभ की फ़िल्मों में उनके यादगार क़िरदार चुनना इस तरह है जैसे हीरों की मंडी में सबसे चमकीला हीरा खोजना। इनके अलावा अमर अकबर एंथनी, शान, चुपके-चुके, अभिमान, कभी -कभी, सिलसिला, शराबी, अग्निपथ, कभी खुशी कभी ग़म, मोहब्बतें, बागवां कई ऐसी फ़िल्में हैं, जिनमें अमिताभ ने अभिनय की बुलंदियों को छुआ है। उम्मीद है, कि आने वाले वक़्त में उनकी परफॉर्मेंसेज उनका क़द और ऊंचा करेंगी।