सात साल बाद ‘बेफिक्रे’ से निर्देशन में लौट रहे हैं आदित्य

मुंबई: आदित्य चोपड़ा एक बार फिर निर्देशन की कमान संभालने जा रहे हैं। बेफिक्रे के साथ आदित्य सात साल बाद निर्देशन में वापसी कर रहे हैं। 27 सितंबर को अपने पिता लीजेंडरी फ़िल्ममेकर स्वर्गीय यश चोपड़ा के 83 वें जन्म दिवस पर आदित्य ने फ़िल्म का ऐलान किया।
aditya chopra film
आदित्य ने यह ऐलान भी इस तरह किया है, कि ये आपका दिल छू लेगा। उन्होंने अपने पिता के साथ एक काल्पनिक बातचीत के ज़रिए फ़िल्म की घोषणा की है, जिसमें उन्होंने बताया है, कि वो क्यों एक क़ामयाब प्रोड्यूसर से निर्देशन लौट रहे हैं, और  फ़िल्म के बॉक्स ऑफ़िस आंकड़ों से ज़्यादा ज़रूरी उनके लिए क्या है? आदित्य की इस ‘बातचीत’ का हिंदी अनुवाद नीचे दिया गया है:
आज, जब मैं अपने पिता को उनके जन्म दिवस पर याद कर रहा हूं, मैं सोचता हूं कि मेरे जीवन में सभी महत्वपूर्ण फैसलों में वो कैसे मेरे मार्गदर्शक की तरह थे। आज मैं एक अहम फैसला कर रहा हूं, और हालांकि उन्हें गुज़रे हुए तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन वो आज भी मुझे राह दिखा रहे हैं। इसलिए मेरे पिता के 83 वें जन्म दिवस पर उनके साथ मेरी काल्पनिक वार्ता यहां प्रस्तुत है-
आदि: डैड, मैं जिस फ़िल्म को डायरेक्ट करना चाहता हूं, मैंने उसकी स्क्रिप्ट पूरी कर ली है, लेकिन मुझे संदेह है, कि आप इससे खुश होंगे?
डैड (यशजी): तु्म्हें ऐसा क्यों लगता है?
आदि: क्योंकि आप हमेशा मुझसे यशराज बैनर की सबसे बड़ी फ़िल्में निर्देशित करवाना चाहते थे, और ये उनमें से नहीं है।
डैड: तो तुम ये कहना चाहते हो, कि इस फ़िल्म में उतना बड़ा बनने की क्षमता नहीं है, जितनी तुम्हारी पहले की फ़िल्म क़ामयाब हुई हैं?
आदि: शायद नहीं!
डैड: फिर तुम इसे क्यों बनाना चाहते हो?
आदि: क्योंकि मैं इससे बहुत प्यार करता हूं। मैं जब अपना सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट लिखा रहा था, तो मैंने इससे मस्ती के लिए लिखना शुरू किया था, और सोचा कि  अपने किसी निर्देशक को दे दूंगा, और मैं इसे सिर्फ़ प्रोड्यूस करूंगा। लेकिन मुझे इसे लिखने में इतना आनंद आया, कि लिखने के दौरान ही मैंने सोच लिया था, कि मैं ही इसे डायरेक्ट करूगा।
डैड: तुम्हें इस फ़िल्म के बारे में क्या बात उत्साहित करती है?
आदि: मैंने अब तक जितनी फ़िल्में डायरेक्ट की हैं, ये उन सबसे अलग है। अब तक मैंने जो भी फ़िल्में लिखी या निर्देशित की हैं, वो गहरी, नाटकीय और भावनात्मक रही हैं। ये वाली महज़ हल्की-फुल्की रोमांटिक है, और कुछ नहीं। ये मेरी सबसे ज़्यादा खुशी देने वाली फ़िल्म है। सबसे मासूम फ़िल्म है। सबसे जोख़िमभरी फ़िल्म है।
डैड: क्या ये बात तुम्हें परेशान नहीं करती, कि ये फ़िल्म 100 करोड़ या 200 करोड़ का बिजनेस नहीं कर सकती है?
आदि: दरअसल, डैड इस फ़िल्म को मैं इसी बोझ से मुक्त होने के लिए बनाना चाहता हूं। मैं अपने नंबर्स सुधारने के लिए ही काम नहीं करना चाहता हूं, मैं बेहतर फ़िल्में बनाने की कोशिश करते रहना चाहता हूं। मैं वो बनाना चाहता हूं, जिससे मुझे खुशी मिलती है और मुझे यक़ीन है, अगर मैं वो कर पाता हूं, तो नंबर्स ज़रूर पीछे-पीछे आएंगे।
डैड: बेटा, मैं तु्म्हें एक राज़ की बात बताता हूं। मेरी पहचान भले ही एक ऐसे निर्माता के तौर पर हो, जो बड़ी फ़िल्मों के निर्माण में यक़ीन करता है, लेकिन बतौर फ़िल्ममेकर मैंने हमेशा अपने भीतर छिपे जोख़िम उठाने वाले का साथ दिया है। अपनी पूरी ज़िंदगी में मैं सबसे ज़्यादा उत्साहित तभी हुआ, जब मैंने ज़ोख़िमभरी फ़िल्मों का निर्माण किया। कुछ अच्छी चलीं, कुछ नहीं। लेकिन उन सभी फ़िल्मों ने मुझे सिर्फ़ बेहतर फ़िल्ममेकर ही नहीं, बल्कि बड़ा फ़िल्ममेकर भी बनाया। इसलिए तुम्हें भी मेरी वही सलाह है, जो मैंने हमेशा खुद को दी है। आगे बढ़ो, और वो फ़िल्म बनाओ, जिसे तुम चाहते हो। लेकिन इसे पूरे दृढ़ निश्चय से बनाओ और निडरता के साथ बनाओ- बेफिक्र होकर।
इसलिए, अपने पिता के 83 वें जन्मदिवस पर मैं उनके आशीर्वाद के साथ मैं सात साल बाद अपने अगले डायरेक्टोरियल वेंचर की घोषणा करता हूं-
बेफ़िक्रे
जो प्यार करने की हिम्मत करते हैं
आदित्य चोपड़ा