Super 30 Trailer Review: बड़े सपनों की कहानी में रितिक रोशन ने लगाई कितनी लम्बी छलांग, जानिए…

मनोज शर्मा, मुंबई। रितिक रोशन की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म सुपर 30 का ट्रेलर रिलीज़ हो गया है। विकास बहल निर्देशित सुपर 30 कुछ फिक्शन के साथ बायोपिक फ़िल्म है, जिसमें रितिक पटना में सुपर 30 नाम की कोचिंग चलाने वाले मैथमेटिशियन आनंद कुमार का किरदार निभा रहे हैं।

ट्रेलर में शेयर करते हुए रितिक ने लिखा है- ”सारे सुपरहीरो लबादा नहीं पहनते। विचार किसी राष्ट्र का निर्माण करते हैं। लोग इसे शक्तिशाली बनाते हैं। देश के हार्टलैंड से ऐसी ही एक कहानी पेश है।” ट्रेलर की अवधि लगभग ढाई मिनट है। सुपर 30 का ट्रेलर मसालेदार है, मगर एकदम से रोमांचित नहीं करता।

रितिक को ऐसे देखने की आदत नहीं

पीरियड ड्रामा मोहेंजो-दाड़ो को छोड़ दें तो रितिक ने अपने करियर में अधिकतर शहरी और संभ्रांत परिवार के युवा के किरदार ही निभाये हैं, जहां उनकी कद-काठी, चेहरा-मोहरा और भाषा न्यायसंगत लगती है। किरदार के अनुरूप वो ढल जाते हैं। मगर आनंद कुमार के रूप में उन्हें देखकर ‘क्या बात है’ वाली फीलिंग नहीं आती।

साफ़ पता चल रहा है कि संघर्ष की भट्टी में तपे आनंद कुमार से सूरत मिलाने के लिए गोरे-चिट्टे रितिक को मेकअप से जबरन डार्क किया गया है। रितिक की कदकाठी भी किरदार को सपोर्ट करती नहीं दिखती।

किरदार नहीं कलाकार बोल रहा है

सबसे अधिक बनावटी जो लगता है, वो रितिक का उच्चारण है। रितिक के मुंह से बिहारी डायलेक्ट सुनकर ऐसा नहीं लगता कि कोई बिहारी ही बोल रहा हो। रितिक ने लहज़ा पकड़ने की कोशिश की है, मगर उसे आत्मसात नहीं कर पाये। साफ़ पता चलता है कि किरदार नहीं, कलाकार बोल रहा है। कुछ ऐसी ही दिक्कत मोहेंजो-दाड़ो के समय भी आयी थी। ख़ैर, अभी तो ट्रेलर आया है, पूरी पिक्चर अभी बाक़ी है।

आनंद कुमार का संघर्ष

ट्रेलर से फ़िल्म की कहानी का अंदाज़ा हो जाता है। ग़रीब परिवार के बच्चों के सपने किस तरह शिक्षा के बाज़ारीकरण से कुचल दिये जाते हैं, यह संदेश ट्रेलर से साफ़ समझ में आता है। ट्रेलर से यह भी अंदाज़ा हो जाता है कि आनंद कुमार ने सिर्फ़ ग़रीबी से जंग नहीं लड़ी है, बल्कि ग़रीब और सुविधाविहीन बच्चों के सपनों को हक़ीक़त में बदलने के लिए उन्हें स्थानीय सियासत से भी भिड़ना पड़ा होगा। हालांकि अभी आनंद कुमार का टीचर वाला रूप देखना बाक़ी है। फ़िल्म मृणाल ठाकुर और पंकज त्रिपाठी भी अहम किरदारों में दिखेंगे।

क्या है सुपर 30

पटना में चलने वाली सुपर 30 कोचिंग का नाम सभी ने सुना होगा। ग़रीब तबके से आने वाले मेधावी विद्यार्थियों को इस कोचिंग में पढ़ाकर उन्हें इस काबिल बनाया जाता है कि आईआईटी जैसी मुश्किल प्रवेश परीक्षा पास कर सकें। आप सोचेंगे कि इसमें क्या हीरोइज़्म है। कितनी ही कोचिंग ऐसी हैं, जो मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवाती हैं।

सुपर 30 का हीरोइज़्म ये है कि इसमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कोई फ़ीस नहीं देनी होती। बस एक ही शर्त है कि वो मेधावी हों। इस कोचिंग को आनंद कुमार संचालित करते हैं, जो मूल रूप से मैथमैटिशिन हैं और ख़ुद ग़रीबी की वजह से उच्च शिक्षा का मौक़ा पाने से वंचित रह गये थे।

हालांकि, आनंद कुमार के दावे विवादित भी रहे हैं। उन पर बढ़ा-चढ़ाकर बोलने के आरोप लगते रहे हैं। इसीलिए शुरुआत में पूरी तरह बायोपिक के तौर पर प्रचारित की गयी फ़िल्म को बाद में प्रेरित कहा जाने लगा।