मुंबई। Kesari Chapter 2 FIR: बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की हालिया फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ थिएट्रिकल रिलीज के दो महीनों बाद विवादों के घेरे में है। फिल्म के मेकर्स के खिलाफ पश्चिम बंगाल में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसके पीछे ऐतिहासिक तथ्यों के साथ कथित छेड़छाड़ का आरोप है।
इस मामले ने ना केवल सिनेमाई हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी तीखी बहस छेड़ दी है। आइए, इस विवाद के कारण और इसके पीछे की कहानी को विस्तार से समझते हैं।
कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
‘केसरी चैप्टर 2’ जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद की कानूनी लड़ाई पर आधारित है, जो सी शंकरन नायर की कहानी को दर्शाती है। फिल्म 18 अप्रैल 2025 को थिएटर में रिलीज हुई और 13 जून 2025 से जिओ हॉटस्टार पर स्ट्रीमिंग शुरू हुई।
विवाद की जड़ एक कोर्टरूम दृश्य में निहित है, जिसमें बंगाल के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों खुदीराम बोस और बरींद्र कुमार घोष को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता रणजीत विश्वास, जो बिधाननगर साउथ के निवासी हैं, ने दावा किया कि फिल्म में इन क्रांतिकारियों के नाम और पहचान को तोड़ा-मरोड़ा गया है।
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ऐतिहासिक तथ्यों में कथित बदलाव
रणजीत विश्वास की शिकायत के अनुसार, फिल्म में खुदीराम बोस को “खुदीराम सिंह” और बरींद्र कुमार घोष को “बिरेंद्र कुमार” के रूप में दिखाया गया है, जो कि अमृतसर से संबंधित बताए गए हैं। यह प्रस्तुति बंगाल के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को सही तरीके से नहीं दर्शाती, क्योंकि खुदीराम बोस और बरींद्र कुमार घोष बंगाली क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।
इसके अलावा, फिल्म में हेमचंद्र कानूनगो जैसे अन्य क्रांतिकारियों के चरित्र को काल्पनिक नाम “कृपाल सिंह” से बदलने का भी आरोप है। इन बदलावों को जानबूझकर इतिहास को विकृत करने की कोशिश माना जा रहा है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। पार्टी ने फिल्म के मेकर्स पर बंगाल के स्वतंत्रता संग्राम में राज्य के योगदान को कम करने और बंगाली क्रांतिकारियों का अपमान करने का आरोप लगाया है।
टीएमसी नेता कुणाल घोष और अरूप चक्रवर्ती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे “इतिहास के साथ जानबूझकर छेड़छाड़” और “बंगाल के लिए गहरा अपमान” करार दिया। उन्होंने केंद्र सरकार और सेंसर बोर्ड से तत्काल कार्रवाई की मांग की, साथ ही सवाल उठाया कि सेंसर बोर्ड ने इन ऐतिहासिक विकृतियों को क्यों नहीं रोका।
कानूनी कार्रवाई
इस शिकायत के आधार पर बिधाननगर साउथ पुलिस स्टेशन में फिल्म के सात निर्माताओं के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 352, 353(1)(सी), और 353(2) के तहत एफआईआर (Kesari Chapter 2 FIR) दर्ज की गई है।
ये धाराएं जानबूझकर अपमान, सार्वजनिक उत्पात और झूठी जानकारी फैलाने से संबंधित हैं। यह कार्रवाई 19 जून 2025 तक की गई, और मामला राजनीतिक तनाव को और बढ़ा रहा है।
राजनीतिक और सामाजिक पहलू
टीएमसी ने इस घटना को केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर बंगाल की गरिमा और विरासत से खिलवाड़ करने का एक और उदाहरण बताया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिना फिल्म का नाम लिए इस तरह के प्रयासों की निंदा की और कहा कि बंगाल के स्वतंत्रता संग्रामियों के योगदान को कमजोर करने की कोशिशें अस्वीकार्य हैं। दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे गैर-मामूली मुद्दा बताया है, जिससे राजनीतिक बहस और गहरी हो गई है।