Sitaare Zameen Par: हिंदी फिल्मों के वो Coach, जिन्होंने खेल-खेल में सिखाया जिंदगी जीने का फलसफा

Bollywood actors who played coach in movies. Photo- Instagram

मुंबई। Sitaare Zameen Par: सितारे जमीन पर के क्लाइमैक्स में जब आमिर खान का किरदार बास्केटबॉल कोच गुलशन अरोड़ा अपनी टीम छोड़कर जा रहा होता है तो भावुक होकर कहता है कि वो टीम का कोच नहीं है, बल्कि टीम उसकी कोच है।

यहां गुलशन यह स्वीकार करता है कि भले ही टीम को वो सिखाने आया था, मगर ऑटिज्म और डाउन सिंड्रोम वाले जिन युवाओं को दुनिया पागल कहती है, उन्होंने उसे जिंदगी के असली सबक सिखाये।

सितारे जमीन पर का सबसे बड़ा सबक यही है कि दूसरों का नजरिया समझना जरूरी है। आपको जो नॉर्मल लगता है, वो दूसरे को एबनॉर्मल लग सकता है और जो आपको एबनॉर्मल लगे, वो दूसरे का नॉर्मल हो सकता है।

स्पोर्ट्स फिल्मों (Sitaare Zameen Par) की यह खूबी रहती है कि मनोरंजन के साथ यह जिंदगी के फलसफे सिखा जाती हैं। बॉलीवुड में ऐसी फिल्में आती रही हैं, जिनमें अभिनेता कोच की भूमिका निभाकर ना केवल अपनी टीमों को जीत की ओर ले गए, बल्कि दर्शकों को भी जीवन सबक सिखाए। आइए, कुछ ऐसे अभिनेताओं और उनकी फिल्मों पर नजर डालते है, जिन्होंने कोच के किरदार में जान फूंक दी।

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1. शाह रुख खान- चक दे! इंडिया (2007)

शाह रुख खान ने चक दे! इंडिया में कबीर खान का किरदार निभाया, जो भारतीय महिला हॉकी टीम का कोच बनता है। कबीर एक पूर्व खिलाड़ी है, जिसे देशद्रोही ठहराया गया था और वह अपनी प्रतिष्ठा को वापस पाने के लिए इस टीम को विश्व कप जीतने के लिए तैयार करता है।

शाहरुख का किरदार अनुशासन, एकता, और देशभक्ति का प्रतीक है। उनका मशहूर “सत्तर मिनट” वाला भाषण आज भी लोगों को प्रेरित करता है।

जीवन का सबक: कबीर खान ने सिखाया कि असफलताओं से हार नहीं माननी चाहिए। मेहनत, एकजुटता, और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करके कोई भी असंभव सपना साकार कर सकता है।

2. आमिर खान – दंगल (2016)

आमिर खान ने दंगल में महावीर सिंह फोगट की भूमिका निभाई, जो अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती में विश्व स्तरीय पहलवान बनाने के लिए कठिन प्रशिक्षण देता है। महावीर का किरदार समाज की रूढ़ियों को तोड़ता है और दर्शाता है कि दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

जीवन का सबक: दंगल से हमें सीख मिलती है कि सपनों को पूरा करने के लिए बलिदान और कठिन परिश्रम जरूरी है।

3. अजय देवगन – मैदान (2024)

अजय देवगन ने मैदान में सैयद अब्दुल रहीम का किरदार निभाया, जो 1950 और 60 के दशक में भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम युग के निर्माता थे। रहीम साहब के नेतृत्व में भारतीय फुटबॉल टीम ने 1951 और 1962 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते। अजय का किरदार संसाधनों की कमी और राजनीतिक दबाव के बावजूद अपनी टीम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित करता है।

जीवन का सबक: रहीम साहब की कहानी हमें सिखाती है कि नेतृत्व में विश्वास, धैर्य, और दूसरों की प्रतिभा को पहचानने की क्षमता जरूरी है।

4. अमिताभ बच्चन – झुंड (2022)

अमिताभ बच्चन ने झुंड में विजय बरसे की भूमिका निभाई, जो एक रिटायर्ड स्पोर्ट्स टीचर हैं और झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को फुटबॉल सिखाकर उन्हें नशे और अपराध से दूर रखते हैं। विजय बरसे का किरदार वास्तविक जीवन के स्लम सॉकर एनजीओ के संस्थापक से प्रेरित है। अमिताभ का किरदार सामाजिक बदलाव और दूसरों के लिए कुछ करने की भावना को दर्शाता है।

जीवन का सबक: यह फिल्म हमें सिखाती है कि उम्र या संसाधनों की कमी सपनों को रोक नहीं सकती। दूसरों को प्रेरित करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की शक्ति हर किसी में होती है।

5. अभिषेक बच्चन – घूमर (2023)

अभिषेक बच्चन ने घूमर में एक असफल क्रिकेटर और कोच, पदम सिंह सोढ़ी का किरदार निभाया। वह एक युवा क्रिकेटर, अनीना, को प्रशिक्षित करता है, जो एक दुर्घटना में अपनी दाहिनी बांह खो देती है। अभिषेक का किरदार अनीना को ना केवल एक अनोखी गेंदबाजी तकनीक सिखाता है, बल्कि उसे जीवन में दोबारा उठ खड़े होने की प्रेरणा भी देता है।

जीवन का सबक: घूमर हमें सिखाती है कि असफलताएं हमें परिभाषित नहीं करतीं। सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास के साथ हम अपनी कमियों को ताकत में बदल सकते हैं।

6. आर माधवन – साला खडूस (2016)

आर माधवन ने साला खडूस में आदि तोमर का किरदार निभाया, जो एक पूर्व बॉक्सर है और खेल की राजनीति के कारण अपनी प्रतिष्ठा खो देता है। वह एक मछुआरिन, मधि, को बॉक्सिंग में विश्व चैंपियन बनाने के लिए प्रशिक्षित करता है। माधवन का किरदार कठोर, लेकिन संवेदनशील है, जो मधि को ना केवल खेल बल्कि जीवन में भी आत्मविश्वास देता है।

जीवन का सबक: यह फिल्म हमें सिखाती है कि सच्चा गुरु वह है, जो अपने शिष्य की प्रतिभा को पहचानता है और उसे हर मुश्किल में साथ देता है। दूसरों की सफलता में अपनी जीत देखना असली कोच की पहचान है।