मुंबई। Dheeraj Kumar Death: भारतीय सिनेमा और टेलीविजन जगत के दिग्गज अभिनेता, निर्माता और निर्देशक धीरज कुमार का 15 जुलाई को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया।
79 वर्षीय अभिनेता निमोनिया और सांस संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे थे और वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। उनके निधन से फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है।
परिवार की ओर से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, धीरज कुमार का निधन मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे हुए। अपने लगभग पांच दशक के करियर में उन्होंने कई हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम किया था। धीरज. इंडस्ट्री में अपने मृदु स्वभाव और मिलनसार शख्सियत के लिए जाने जाते थे।
मधुर भंडारकर ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा- अभिनेता और निर्देशक धीरज कुमार जी के निधन से दुखी हूं। टेलीविजन के लिए उनका योगदान, खासकर माइथोलॉजी सीरीज, हमेशा याद किया जाएगा। परिवार और प्रियजनों के लिए मेरी दिली संवेदनाएं।
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टैलेंट हंट शो से पहुंचे पर्दे पर
1 अक्टूबर, 1944 को जन्मे धीरज कुमार का असली नाम धीरज कोचर था। सिनेमा में उनका सफर सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ शुरू हुआ था। वह यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर द्वारा आयोजित एक टैलेंट शो के फाइनलिस्ट थे, जिसमें सुभाष घई और राजेश खन्ना भी शामिल थे। इस शो के राजेश खन्ना विजेता बने।
धीरज कुमार ने हिंदी और पंजाबी सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 1970 से 1984 तक 21 पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें कई में वह मुख्य अभिनेता थे।

हिंदी सिनेमा में उन्होंने 1970 की फिल्म रातों का राजा से डेब्यू किया था। उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में रोटी कपड़ा और मकान (1974), शराफत छोड़ दी मैंने (1973), सरगम (1979), क्रांति (1981), हीरा पन्ना (1973), और स्वामी (1977) शामिल हैं।
फिल्म स्वामी में येसुदास की आवाज में गाया गया गाना “का करूं सजनी, आये ना बलम” उन पर फिल्माया गया था, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसता है। इसके अलावा, उन्होंने शिरडी के साईं बाबा में मुख्य भूमिका निभाई।
छोटे पर्दे पर बने माइथोलॉजिकल किंग
फिल्मों के मुकाबले छोटे पर्दे ने उन्हें ज्यादा शोहरत दिलवाई। 1986 में धीरज कुमार ने क्रिएटिव आई लिमिटेड की स्थापना की, जो भारतीय टेलीविजन के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
उनकी कंपनी ने माइथोलॉजिकल और भक्ति धारावाहिकों में क्रांति ला दी। ओम नमः शिवाय (1997), श्री गणेश (2000), जय संतोषी मां, और जप तप व्रत जैसे धारावाहिकों ने उन्हें ‘माइथोलॉजी किंग’ की उपाधि दिलाई।
इनके अलावा, उन्होंने समकालीन शो जैसे इश्क सुभान अल्लाह, अदालत, मिली और घर की लक्ष्मी बेटियां का निर्माण किया, जो दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे। उनकी कंपनी ने हजारों घंटों का कंटेंट तैयार किया, जिसने भारतीय टेलीविजन को नई दिशा दी।

1984 में उनके धारावाहिक कहां गए वो लोग को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा बेस्ट सीरियल ऑफ द ईयर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2012 में उन्हें पंजाबी सिनेमा और टेलीविजन में योगदान के लिए पीटीसी नेटवर्क द्वारा ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से नवाजा गया, जिसे अनुपम खेर ने प्रदान किया।