मुंबई। Chandra Barot Death: अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्मों गिनी जाती है। इस फिल्म का निर्देशन चंद्रा बरोट ने किया था, जिनका आज रविवार को मुंबई में निधन हो गया। दिग्गज निर्देशक 86 वर्ष की के थे और पिछले सात सालों से पल्मोनरी फाइब्रोसिस (फेफड़ों की बीमारी) से जूझ रहे थे।
उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सास ली। चंद्रो बरोट के निधन की पुष्टि उनकी पत्नी दीपा बरोट ने की।
मनोज कुमार से सीखीं फिल्ममेकिंग की बारीकियां
चंद्र बरोट का जन्म 1930 के दशक में हुआ था। उनका परिवार बाद में दक्षिण अफ्रीका चला गया था। वहां उन्होंने बार्कलेज बैंक में काम किया। 1967 में तंजानिया में नस्लीय अशांति के कारण वह भारत लौट आए।
भारत आने के बाद प्लेबैक सिंगर बहन कमल बरोट के जरिए वो संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी से मिले। इसके बाद उन्हें अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार के साथ काम करने का अवसर मिला।
चंद्रा बरोट ने अपने करियर की शुरुआत मनोज कुमार के सहायक निर्देशक के रूप में की। उन्होंने पूरब और पश्चिम (1970), यादगार, शोर, और रोटी कपड़ा और मकान जैसी फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया।
मनोज कुमार के मार्गदर्शन में उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखीं, जो बाद में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि डॉन के निर्माण में काम आई।
डॉन ने चंद्रा बरोट को कर दिया अमर
1978 में आई डॉन ने चंद्र बरोट का नाम भारतीय सिनेमा में अमर कर दिया। इस स्टाइलिश गैंगस्टर ड्रामा ने फिल्म ने आने वाले दौर में कई फिल्मकारों को प्रभावित किया। मगर, फिल्म के बनने की कहानी भी दिलचस्प है।
यह फिल्म उनके दोस्त और सिनेमैटोग्राफर-निर्माता नरीमन ईरानी को आर्थिक संकट से उबारने के लिए बनाई गई थी। डॉन की कहानी सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखी थी। अमिताभ बच्चन से पहले इसे देव आनंद, जीतेंद्र, और धर्मेंद्र जैसे सितारों को ऑफर किया गया था, लेकिन अंततः अमिताभ बच्चन ने इस किरदार को निभाया।
डॉन ने ना केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि यह एक ऐसी फिल्म बन गई, जिसने भारतीय सिनेमा में गैंगस्टर ड्रामा की नई परिभाषा गढ़ी। फिल्म का संगीत और संवाद बेहद सफल रहे। खइके पान बनारस वाला गाना मनोज कुमार के सुझाव पर जोड़ा गया था। डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है जैसी लाइंस आइकॉनिक हैं।
इस फिल्म की सफलता के बाद चंद्रा बरोट को 52 फिल्मों के ऑफर मिले थे। हालांकि, वो कुछ ही कर सके।
डॉन की अपार सफलता के बाद चंद्र बरोट ने 1989 में बंगाली फिल्म आश्रिता का निर्देशन किया, जिसने 3 करोड़ रुपये की कमाई की। इसके बाद 1991 में उन्होंने प्यार भरा दिल बनाई। हालांकि, उनकी कई अन्य फिल्में बॉस, नील को पकड़ना… इम्पॉसिबल, और हॉन्ग कॉन्ग वाली स्क्रिप्ट विभिन्न कारणों से पूरी नहीं हो सकीं।
इंडस्ट्री दे रही श्रद्धांजलि
अधूरी फिल्म बॉस में कुणाल कोहली ने चंद्रा बरोट को असिस्ट किया था। उन्होंने दिवंगत निर्देशक के साथ काम करने के अनुभव को याद किया। कुणाल ने लिखा- चंद्री जी, श्रद्धांजलि सर। इकलौते निर्देशक, जिन्हें मैंने असिस्ट किया। डॉन में नहीं। विनोद खन्ना के साथ बॉस नाम की फिल्म में, जो कभी नहीं बन सकी।
मगर, उनके साथ काम करने का अनुभव समृद्धशाली रहा। मैं कॉलेज बंक करके उन्हें असिस्ट करने जाता था। बेहद होशियार व्यक्ति थे। प्यारे व्यक्ति थे। उनके साथ बहुत सीथा। हिंदी सिनेमा को सबसे स्टाइलिश फिल्म डॉन देने के लिए शुक्रिया सर।

2006 में फरहान अख्तर ने शाह रुख खान के साथ डॉन का रीमेक बनाया, जो मूल फिल्म को समर्पित था। इसके बाद डॉन 2 और अब डॉन 3 (रणवीर सिंह और कियारा आडवाणी के साथ) निर्माणाधीन है। फरहान अख्तर ने चंद्र बरोट के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा, “ओजी डॉन के निर्देशक के निधन से दुखी हूं। चंद्र बरोट जी को श्रद्धांजलि।”
