Prem Sagar Death: रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर का 84 साल की उम्र में निधन, ‘राम और लक्ष्मण’ ने दी श्रद्धांजलि

Arun Govil and Sunil Lahri Prem Sagar's death. Photo- X

मुंबई। Prem Sagar Death: भारतीय टेलीविजन और सिनेमा जगत के दिग्गज प्रोड्यूसर, सिनेमैटोग्राफर और लेखक प्रेम सागर का रविवार सुबह 10 बजे निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे। रामायण का निर्माण और निर्देशन करने वाले रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।

उनके निधन की खबर से फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई। रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अभिनेता और सांसद अरुण गोविल और लक्ष्मण सुनील लहरी ने सोशल मीडिया के जरिए श्रद्धांजलि दी।

अरुण गोविल ने लिखा- रामायण टीवी सीरियल का स्वरूप इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जन-जन तक भगवान श्रीराम की मर्यादा, आदर्श और शिक्षाओं को पहुंचाने वाले स्व. श्री रामानंद सागर जी के सुपुत्र व प्रसिद्ध फिल्म निर्माता श्री प्रेम सागर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोक संतप्त परिवारजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

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लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले कलाकार सुनील लहरी ने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा- यह दुखद समाचार शेयर करते हुए अत्यंत दुख हो रहा है। रामानंद सागर जी के पुत्र प्रेम सागर जी परलोक सिधार गये हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और घरवालों को इस दुख को सहने की शक्ति दें।

कई हिट फिल्मों में की सिनेमैटोग्राफी

प्रेम सागर का जन्म 1941 में हुआ था। वे रामानंद सागर के चार पुत्रों में से एक थे, जिन्होंने सागर आर्ट्स की स्थापना की थी। प्रेम सागर ने अपने करियर की शुरुआत सिनेमैटोग्राफी से की और जल्द ही हिंदी सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी।

उन्होंने ‘चरस’ (1976), ‘हमराही’, ‘गीत गाता चल’, ‘ललकार’, ‘जलते बदन’ जैसी कई फिल्मों में कैमरा वर्क किया। सिनेमैटोग्राफी के क्षेत्र में उन्हें 15 से अधिक पुरस्कार मिले, जो उनकी तकनीकी कुशलता और रचनात्मकता का प्रमाण हैं।

स्टिल फोटोग्राफी में भी उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल कीं। टेलीविजन में प्रेम सागर का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने अपने पिता रामानंद सागर की विरासत को आगे बढ़ाया और पौराणिक धारावाहिकों की दुनिया में क्रांति लाये।

‘रामायण’ के निर्माण में वे सक्रिय रूप से शामिल थे, जो 1980 के दशक में भारत का सबसे लोकप्रिय शो बना। इसके अलावा ‘विक्रम और बेताल’, ‘श्री कृष्णा’ जैसे धारावाहिकों का निर्माण किया, जो घर-घर में लोकप्रिय हुए।

इन शोज ने भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया। प्रेम सागर ने ‘लव कुश’ और अन्य प्रोजेक्ट्स में भी निर्देशन और निर्माण किया। एक लेखक के रूप में भी प्रेम सागर ने अपनी पहचान बनाई।

उन्होंने ‘द रामायण ट्रेडिशन इन एशिया’ जैसी किताबें लिखीं, जो रामायण की वैश्विक परंपरा पर आधारित हैं। उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिनमें भारतीय कॉर्पोरेट अफेयर्स संस्थान से सम्मान शामिल है।

वे सागर वर्ल्ड के माध्यम से सांस्कृतिक और धार्मिक सामग्री को बढ़ावा देते रहे। प्रेम सागर के निधन से एक युग का अंत हो गया है। उनके पुत्र शिव सागर अब परिवार की विरासत संभाल रहे हैं।