Ikkis Trailer में नाती अगस्त्य नंदा की अदाकारी से गदगद अमिताभ बच्चन, बोले- ‘जब मैंने तुम्हें पहली बार गोद में लिया था…’

Amitabh Bachchan praise grandson Agastya Nanda in IKKIS. Photo- Screenshot

मुंबई। Ikkis Trailer: अमिताभ बच्चन के नाती और बेटी श्वेता बच्चन नंदा के बेटे अगस्त्य नंदा इक्कीस से बड़े पर्दे पर डेब्यू करने जा रहे हैं। इस फिल्म का निर्देशन श्रीराम राघवन ने किया है, जबकि निर्माता दिनेश विजन हैं। इस वॉर फिल्म में अगस्त्य एक रियल लाइफ से प्रेरित किरदार में नजर आएंगे।

अमिताभ ने एक्स पर लिखा मैसेज

बुधवार को जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ तो बिग बी जज्बाती हो गये। ट्रेलर शेयर करने के साथ उन्होंने एक्स पर लिखा- अगस्त्य। जैसे ही तुम पैदा हुए थे, मैंने तुम्हें अपने हाथों में उठाया था। कुछ महीनों बाद, मैंने तुम्हें फिर हाथों में उठाया और तुम्हारी कोमल अंगुलियां मेरी दाढ़ी से खेलने लगीं।

आज तुम पूरी दुनिया के सिनेमाघरों में खेलोगे। तुम खास हो। मेरी सारी दुआएं और आशीर्वाद तुम्हारे लिए हैं। ईश्वर करे तुम अपने काम से खूब चमको और परिवार के गर्व करने की वजह बनो।

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फिल्म में अगस्त्य नंदा परमवीर चक्र विजेता (मरणोपरांत) सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के किरदार में हैं, जबकि वेटरन एक्टर धर्मेंद्र, जयदीप अहलावत और विवान शाह अहम किरदारों में नजर आएंगे। इक्कीस दिसम्बर में रिलीज होगी।

धर्मेंद्र फिल्म में अगस्त्य के वयोवृद्ध पिता के रोल में हैं। इक्कीस की कहानी वर्तमान और अतीत में सफर करेगी। जयदीप अहलावत पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अफसर के रोल में हैं, जो धर्मेंद्र को अरुण खेत्रपाल के शौर्य की कहानी सुनाता है।

अगस्त्य ने ‘द आर्चीज’ से एक्टिंग डेब्यू किया था, जो नेटफ्लिक्स पर आई थी। इक्कीस के जरिए वो पहली बार बड़े पर्दे पर दिखेंगे।

कौन थे सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल?

अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। वह एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता ब्रिगेडियर एम.एल. खेत्रपाल भी सेना में थे। अरुण ने लॉरेंस स्कूल, सनावर से शिक्षा प्राप्त की और 1971 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से पास आउट होकर भारतीय सेना में शामिल हुए।

वह 17 पूना हॉर्स रेजिमेंट में सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में तैनात थे। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बसंतर की लड़ाई में अरुण ने अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया था। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के हमले के दौरान उन्होंने दुश्मन के 10 टैंकों को नेस्तनाबूद कर दिया था। उनके टैंक का नाम फामागुस्ता था।

जब उनका टैंक क्षतिग्रस्त हो गया तो उन्होंने अंतिम सांस तक लड़ाई जारी रखी। मात्र 21 वर्ष की उम्र में शहीद होने वाले अरुण भारत के सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता बने।