IFTPC Fights Fake Reviews: कथित इन्फ्लुएंसर्स की ‘ब्लैकमेलिंग’ के खिलाफ लामबंद फिल्म निर्माता, कानूनी कार्रवाई की तैयारी

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मुंबई। IFTPC Fights Fake Reviews: अगर, आप सोशल मीडिया में बहुत सक्रिय हैं तो आपने देखा होगा कि जिस तरह बरसात में कुकुरमुत्ते कहीं भी उग आते हैं, उसी तर्ज पर इन्फ्लुएंसर्स की एक नई जमात पैदा हो गई है, जो तकरीबन हर मुद्दे पर अपनी रायशुमारी करते हैं।

कुछ हजार या लाख फॉलोअर्स होते ही ये सोशल मीडिया के वॉरियर लगभग हर विषय के एक्सपर्ट बन जाते हैं और दिनभर ऐसी पोस्ट लिखते रहते हैं, जो इनकी कमाई का जरिया बनें।

ऐसे ही कथित इन्फ्लुएंसर्स फिल्म इंडस्ट्री में भी सक्रिय हो गये हैं, जो अक्सर फिल्मों को लेकर अपनी राय रखते रहते हैं। फिल्म की रिलीज से पहले ही यह उनके हिट या फ्लॉप होने की भविष्यवाणी करते रहते हैं। इनमें कुछ ऐसे होते हैं, जो वाकायदा प्रोडक्शन हाउसेज से पैसे की डिमांड करते हैं और पूरी ना होने पर यह फिल्म के खिलाफ नकारात्मकता फैलाने में जुट जाते हैं।

पैसे की डिमांड करते हैं इन्फ्लुएंसर्स

फिल्म और टीवी निर्मााताओं की संस्था इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल अब ऐसे इन्फ्लुएंसर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। काउंसिल की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है- इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स काउंसिल के 375 से अधिक निर्माता और फिल्ममेकर्स सदस्य हैं।

पिछले कुछ सालों से एक चेताने वाले ट्रेंड देखा जा रहा है कि कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स निर्माताओं से पेमेंट की मांग करते हैं और अगर यह मांग पूरी ना हो तो फिल्म्स, सीरीज और अन्य ऑडियोविजुअल कंटेंट के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण रिव्यू या प्रतिक्रिया वाले वीडियो रिलीज करने की प्रैक्टिस में लिप्त हैं।

यह भी देखा गया है कि अगर उनकी मांगें ना मानी जाएं तो ये प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर एक अभियान शुरू करने की धमकी देते हैं, जिसका उसर प्रोजेक्ट पर व्यापक रूप से पड़ता है।

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कानूनी कार्रवाई की तैयारी

प्रेस नोट में यह भी साफ किया गया है कि अभिव्यक्ति की आजादी, ईमानदार और रचनात्मक आलोचनाओं का संस्था और इसके सदस्य स्वागत करते हैं, मगर कुछ अनैतिक लोगों का एक्सटॉर्शन वैध रिव्यूज की हद से परे चला जाता है, जिससे भारतीय फिल्म और मनोरंजन उद्योग की रचनाशीलता और अर्थव्यवस्था को खतरा पैदा हो गया है।

इसलिए, आइएफटीपीसी ने तय किया है कि इस मसले पर उच्च स्तरीय कानूनी सलाहकारों से मशविरा किया जाएगा और सिविल और क्रिमिनल लॉ के तहत सभी कानूनी उपायों के बारे में विचार किया जाएगा, ताकि इस जबरन वसूली पर हमेशा के लिए रोक लगाई जा सके।