मुंबई। Siddhant Chaturvedi As V Shantaram: भारतीय सिनेमा एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जा रहा है, क्योंकि सिनेमाई आइकॉन वी. शांताराम की कहानी एक नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए लौट रही है। फिल्म का शीर्षक वी शांताराम ही रखा गया है।
सिद्धांत चतुर्वेदी अपने करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाते हुए उस लीजेंड्री फिल्ममेकर वी. शांताराम को पर्दे पर जीवंत करेंगे, जिन्हें भारतीय सिनेमा का रियल रिबेल कहा जाता रहा है। मंगलवार को सिद्धांत ने अपने किरदार की कुछ ब्लैक एंड व्हाइट बीटीएस तस्वीरें शेयर कीं।
इंस्टाग्राम पर शेयर कीं बीटीएस फोटो
इन तस्वीरों के साथ अभिनेता ने लिखा- ”एनाउंसमेंट पोस्टर को मिले प्यार और सपोर्ट के लिए आप सभी का शुक्रिया। यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है। एक बागी और भारतीय सिनेमा के गौरव की कहानी को बताने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता, जिसने देश को भी दिशा दी।
मेरे लिए यह शब्दों से परे हैं। ऐसा लड़का, जिसने खामोशी से फ्रेम्स में सपने देखे और अब एक लीजेंड के साये में खड़ा है। अन्ना साहेब वी शांतारम। हर कलाकार के लिए एक कहानी ऐसी आती है, जो उसकी सच्चाई, दिल और भूख की परीक्षा लेती है। यह मेरी है। हो आता करूया… पिक्चर स्टार्ट।”
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फिल्म की घोषणा सोमवार को पोस्टर के साथ की गई थी, जिस पर सिद्धांत दिग्गज फिल्ममेकर के गेटअप में पुराने फिल्म कैमरा के साथ नजर आते हैं। फिल्म का निर्देशन अभिजीत शिरीष देशपांड कर रहे हैं, जबकि निर्माता सुभाष काले और अश्विन वर्दे हैं।
सिद्धांत ने इसको लेकर कहा, “वी. शांताराम जी को निभाना मेरे जीवन के सबसे बड़े सम्मानों में से एक है। उनकी यात्रा के बारे में जितना पढ़ा, उतना ही विनम्र होता गया। वह सिर्फ भारतीय और वैश्विक सिनेमा के अग्रदूत ही नहीं थे, बल्कि एक ऐसे दूरदर्शी थे, जो हर बाधा के बावजूद आगे बढ़ते रहे।
उनकी दुनिया में कदम रखना एक अभिनेता के रूप में मेरे लिए सबसे रूपांतरणकारी अनुभव रहा। उनका जीवन मुझे गहराई से छू गया और मुझे धैर्य की शक्ति की याद दिलाई। यह एक सीख है, जिसे मैं अपने काम में और अपने जीवन के हर पल में संजोकर रखना चाहता हूं।”
निर्देशक अभिजीत शिरीष देशपांडे ने कहा, “वी. शांताराम मेरे लिए एक फिल्ममेकर के तौर पर हमेशा प्रेरणा के सबसे बड़े स्रोत रहे हैं। प्रयोग करने का उनका साहस और उनकी दृष्टि ने आज के सिनेमा को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी कहानी कहना मेरे लिए सम्मान की बात है और मुझे उम्मीद है कि हम इस महान व्यक्तित्व की विरासत के साथ न्याय कर पाएंगे।
इस पहले पोस्टर के साथ हम उस यात्रा की एक झलक साझा कर रहे हैं, जिसमें सिद्धांत चतुर्वेदी उस भूमिका में कदम रख रहे हैं, जिसके लिए हम हमेशा उन्हें उपयुक्त मानते थे।”
कौन थे लीजेंड्री फिल्मकार वी शांताराम?
मूक सिनेमा से ध्वनि और रंगीन सिनेमा का सफर तय करने वाले वी शांताराम एक दिग्गज अभिनेता और निर्माता-निर्देशक थे, जिन्होंने मराठी और हिंदी सिनेमा को अपनी फिल्मों के जरिए एक दिशा दी थी।
उन्होंने बाबूराव पेंटर की कोल्हापुर स्थित महाराष्ट्र फिल्म कम्पनी में छोटे-मोटे काम करके करियर शुरू किया था। बतौर अभिनेता उन्होंने 1921 की मूक फिल्म सुरेखा हरण से करियर शुरू किया। अन्ना साहेब के निकनेम से लोकप्रिय शांताराम 1927 में पहली फिल्म नेताजी पाल्कर निर्देशित की थी।

1929 में उन्होंने प्रभात फिल्म कम्पनी बनाई, जिसके तहत 1932 में पहली मराठी फिल्म अयोध्याचा राजा का निर्माण किया। 1942 में उन्होंने प्रभात फिल्म कम्पनी छोड़कर मुंबई में राजकमल कलामंदिर की बुनियाद रखी। 1964 में उन्होंने अपनी बेटी राजश्री को जीतेंद्र के साथ फिल्म गीत गाया पत्थरों ने लॉन्च किया।
1985 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया और 1992 में मरणोपरांत पद्म विभूषण प्रदान किया गया था। वी शांताराम की यादगार फिल्मों में डॉक्टर कोटनीस की अमर कहानी, तीन बत्ती चार रास्ता, झनक झनक पायल बाजे, दो आंखें बारह हाथ, नवरंग, स्त्री, गीत गाया पत्थरों ने और जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली हैं।

