मुंबई। Jubeen Garg Death: असम के प्रसिद्ध गायक और संगीतकार जुबिन गर्ग का निधन हो गया है। 52 वर्ष की आयु में सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। जुबिन गर्ग, जिन्हें ‘असम का लता मंगेशकर’ भी कहा जाता था, ने अपनी मधुर आवाज और बहुमुखी प्रतिभा से ना केवल असम, बल्कि पूरे भारत के संगीत जगत को समृद्ध किया।
उनकी मृत्यु की खबर से संगीत प्रेमियों को गहरा सदमा पहुंचा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई हस्तियों ने जुबिन की मौत पर अफसोस जताया। असम सरकार ने उनके सम्मान में शोक घोषित किया है। फैंस सोशल मीडिया के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
पीएम मोदी ने एक्स पर की पोस्ट
पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा- लोकप्रिय गायक जुबिन गर्ग के आकस्मिक निधन से सदमे में हूं। वो संगीत के लिए अपने समृद्ध योगदान के लिए याद किये जाएंगे। उनका संगीत हर तरह के लोगों के बीच लोकप्रिय था। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।
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तीन साल की उम्र में मां से सीखा संगीत
जुबिन गर्ग का जन्म 18 नवंबर 1972 को मेघालय के तुरा में एक असमिया ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम जुबिन बोरठाकुर था, लेकिन उन्होंने अपने गोत्र ‘गर्ग’ को उपनाम के रूप में अपनाया।
उनके पिता मोहिनी मोहन बोरठाकुर (जिन्हें कपिल ठाकुर के नाम से भी जाना जाता था) एक मजिस्ट्रेट, गीतकार और कवि थे, जबकि मां इलाय बोरठाकुर एक गायिका थीं। जुबिन का नाम प्रसिद्ध संगीतकार जुबिन मेहता के सम्मान में रखा गया था।
बचपन से ही संगीत के प्रति उनका लगाव गहरा था। मात्र तीन वर्ष की आयु से उन्होंने अपनी मां से गायन सीखना शुरू कर दिया और 11 वर्षों तक पंडित रविन बनर्जी से तबला की शिक्षा ली।
गुरु रामानी राय ने उन्हें असमिया लोक संगीत से परिचित कराया। उन्होंने तमुलपुर हायर सेकेंडरी स्कूल से मैट्रिक पास की, करीमगंज कॉलेज से हायर सेकेंड्री की और बी. बरूआ कॉलेज से विज्ञान में स्नातक के लिए दाखिला लिया, लेकिन संगीत के प्रति समर्पण के कारण इसे बीच में छोड़ दिया।
उनकी छोटी बहन जोंगकी बोरठाकुर एक अभिनेत्री और गायिका थीं, जिनकी 2002 में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई। जुबिन ने उनकी स्मृति में एल्बम शीक्षु जारी किया।
संगीत सफर की शुरुआत और ऊंचाइयां
जुबिन का संगीत सफर स्कूल के दिनों से ही शुरू हो गया था, जब वे गाने कंपोज करने लगे। 1992 में एक यूथ फेस्टिवल में वेस्टर्न सोलो परफॉर्मेंस के लिए गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने अपना पहला असमिया एल्बम अनामिका जारी किया, जो बेहद सफल रहा।
गैंगस्टर के गाने से हुए मशहूर
1995 में मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने इंडीपॉप एल्बम चांदनी रात से बॉलीवुड में कदम रखा। चंदा (1996), जलवा (1998) और स्पर्श (2000) जैसे एल्बमों के अलावा उन्होंने फिल्मों जैसे गद्दार (1995), दिल से (1998) और फिजा (2000) के लिए गाने गाए।
असली सफलता 2006 में आई, जब फिल्म गैंगस्टर के गाने “या अली” ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दी। इस गाने ने उन्हें ग्लोबल इंडियन फिल्म अवॉर्ड्स में बेस्ट प्लेबैक सिंगर का खिताब दिलाया।
जुबिन ने बंगाली फिल्मों में 2003 से गाना शुरू किया, मोन से डेब्यू किया। वे संगीत निर्देशक के रूप में भी सक्रिय रहे, जिनमें शुधु तुमि (2004) प्रमुख है। उन्होंने 40 भाषाओं और बोलियों में गाने गाये, जिनमें बिश्नुप्रिया मणिपुरी, बोरो, कन्नड़, तमिल, मलयालम, मराठी और नेपाली शामिल हैं।
वे 12 वाद्य यंत्र बजाते थे, जैसे ढोल, गिटार और तबला। असम के सबसे अधिक वेतन पाने वाले गायक के रूप में वे विख्यात थे।
उपलब्धियां और पुरस्कार
2005 में शुधु तुमि के लिए BFJA अवॉर्ड्स में बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर बने। 2006 में “या अली” के लिए ग्लोबल इंडियन फिल्म अवॉर्ड्स जीता। 2009 में इकोज ऑफ साइलेंस के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड फॉर बेस्ट नॉन-फीचर फिल्म म्यूजिक डायरेक्शन मिला।
2011 में अमेरिका के असम कन्वेंशन में गेस्ट आर्टिस्ट ऑफ द ईयर चुने गए। 2024 में मेघालय के यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से ऑनरेरी डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (D.Litt.) की उपाधि प्राप्त की।
प्राग सिने अवॉर्ड्स में कई बार बेस्ट प्लेबैक सिंगर और बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन के लिए सम्मानित हुए। 2021 में असमिया फिल्म ब्राइड बाय चांस के गाने “तुमार खोला हवा” के लिए बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड जीता। उनकी फिल्मोग्राफी में असमिया, बंगाली और हिंदी फिल्मों के संगीत निर्देशन शामिल हैं।