मुंबई। Bengali Films Mandatory: बंगाली सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने अहम फैसला लिया है। राज्य के सिनेमाघरों की सभी स्क्रींस पर बंगाली फिल्म का कम से कम एक शो चलाना अनिवार्य होगा। इस संबंध में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है।
क्या कहता है सरकारी नोटिफिकेशन?
राज्य सरकार के इनफॉर्मेशन एंड कल्चरल अफेयर्स विभाग की ओर से जारी इस नोटिफिकेशन में कहा गया है- राज्य का हर एक सिनेमाघर और हर मल्टीप्लेक्स की हर स्क्रीन पर, बंगाली फिल्मों के 365 प्राइम टाइम शोज या स्क्रीनिंग्स अनिवार्य रूप से आयोजित किये जाएंगे। कम से कम एक बंगाली शो प्रतिदिन या पूरे साल के सभी 365 दिन शो होंगे।
इस नोटिफिकेशन में प्राइम टाइम शो दोपहर 3 से रात 9 बजे तक सुनिश्चित किये गये हैं। इसका मतलब यह हुआ कि प्राइम टाइम के दौरान बंगाली फिल्म को एक स्क्रीन जरूर दी जाएगी।
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पहले एक साल में 120 बंगाली फिल्में दिखाने की अनिवार्यता थी और प्राइम टाइम दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक माना जाता था, जिससे अधिकांश थिएटर बंगाली फिल्मों को 12 बजे का स्लॉट दिया करते थे। हालांकि, इस स्लॉट में दर्शकों की संख्या अधिक नहीं रहती।
3-9 बजे के बीच अनिवार्यता करने से बंगाली फिल्मों को अधिक दर्शक मिल सकेंगे। वहीं, बड़ी हिंदी फिल्मों की रिलीज के बीच बंगाली फिल्में गुम नहीं होंगी।
धूमकेतु को मिलेगा फायदा
इस बदलाव का फायदा सबसे पहले बंगाली फिल्म धूमकेतु को होगा, जो 14 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। कौशिक गांगुली निर्देशित फिल्म में देव, शुभाश्री गांगुली, चिरंजीत चक्रवर्ती, रूद्रनील घोष और परमब्रत चटर्जी अहम किरदारों में हैं।
बंगाली सिनेमा, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का एक अहम भाग है। इस इंडस्ट्री से कई दिग्गज कलाकार, फिल्मकार और संगीतकार आये हैं। समय के साथ बंगाली सिनेमा ने अखिल भारतीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। बंगाली फिल्म इंडस्ट्री में पर साल तकरीबन 150 फिल्मों का निर्माण होता है।
प्रोसेनजित चटर्जी, जिशु सेनगुप्ता, जीत, शाश्वत चटर्जी, परमब्रत चट्टोपाध्याय, तोता रॉय चौधरी निरंतर हिंदी सिनेमा में काम कर रहे हैं। सुजॉय घोष और श्रीजित मुखर्जी जैसे निर्देशक हिंदी सिनेमा में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवाते रहे हैं।