1971 की जंग का वो जांबाज, जिसके खौफ से साथियों के शव छोड़ भाग खड़ी हुई थी पाकिस्तानी फौज, Border 2 में वरुण धवन निभा रहे किरदार

Varun Dhawan plays Major Hoshiar Singh Dahiya in Border 2. Photo- Film Team

मुंबई। Varun Dhawan as Major Hoshiar Singh Dhaiya: मंगलवार को विजय दिवस के मौके पर 2026 की मोस्ट अवेटेड फिल्म बॉर्डर 2 का टीजर रिलीज किया गया। मुंबई में हुए इवेंट में सनी देओल, वरुण धवन और अहान शेट्टी मौजूद रहे। इस दौरान सनी सिख अवतार में दिखे। वहीं, वरुण और अहान भी अपने-अपने किरदारों के मुताबिक लुक में नजर आये।

बॉर्डर 2 की कहानी भी पहली फिल्म की तरह 1971 के भारत-पाक युद्ध से ही निकली है। भारत ने यह युद्ध कई मोर्चों पर लड़ा था। थल सेना के साथ वायु सेना और जल सेना की भी इसमें उल्लेखनीय भूमिका रही और देश के कई जांबज सपूतों ने अपनी जान की कुर्बानी दी।

वरुण धवन के किरदार से उठा पर्दा

बॉर्डर और बॉर्डर 2 के बीच का रिश्ता जोड़ने वाले कलाकार सनी देओल ही हैं। फिल्म के अन्य कलाकार वरुण, दिलजीत दोसांझ और अहान नई एंट्री हैं। दिलजीत दोसांझ फिल्म में परमवीर चक्र विजेता फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह शेखों का किरदार निभा रहे हैं। अब वरुण धवन के किरदार से भी पर्दा उठ गया है।

टीजर लॉन्च के दौरान वरुण ने बताया कि वो परमवीर चक्र विजेता मेजर होशियार सिंह दहिया के किरदार में दिखेंगे। यह कैरेक्टर निभाना उनके लिए गर्व और सम्मान की बात है। वरुण ने उम्मीद की कि इस किरदार में उनका अभिनय मेजर होशियार सिंह के परिजनों को पसंद आएगा। साथ ही, देश के नौजवानों को सशस्त्र सैन्य बल ज्वाइन करने के लिए प्रेरित करेगा।

बहरहाल, इस लेख में हम आपको परमवीर चक्र विजेता मेजर होशियार सिंह दहिया के बारे में बताते हैं।

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कौन थे मेजर होशियार सिंह दहिया?

मेजर दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले में स्थित सिसाना गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1969 को भारतीय सेना की द ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट ज्वाइन की थी। उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई थी। उनके पराक्रम और युद्ध कौशल की तारीफ उनके सीनियर अधिकारियों ने भी की थी।

1971 की जंग में छुड़ाये दुश्मन के छक्के

15 दिसम्बर 1971 को ग्रेनेडियर बटालियन को शकरगढ़ सेक्टर (पाकिस्तान) में मौजूद दुश्मन की घेराबंदी करने का आदेश दिया गया था। मेजर होशियार सिंह दहिया लेफ्ट फॉरवर्ड कम्पनी का नेतृत्व कर रहे थे। उन्हें जरपाल इलाके में दुश्मन को खत्म करने का आदेश मिला था।

इस इलाके में दुश्मन ने किलेबंदी कर रखी थी और भारी तादाद में पाकिस्तानी सैनिक मौजूद थे। मेजर होशियार सिंह की कम्पनी पर दुश्मन ने मीडियम मशीगनों से भारी गोलीबारी की। मगर, मेजर दहिया और उनकी कम्पनी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए गोलीबारी की परवाह किये बिना आमने-सामने की लड़ाई में दुश्मन के छक्के छुड़ा दिये।

शिकस्त से छटपटाये दुश्मन ने अगले दिन 16 दिसम्बर को तीन बार मशीनगनों और टैंकों के साथ वापसी की। हर तरह गोली और गोले बरस रहे थे, मगर मेजर होशियार सिंह इसकी परवाह किये बिना एक ट्रेंच से दूसरे ट्रेंच जाकर अपने साथियों को मोटिवेट करते रहे।

मेजर दहिया की हिम्मत और बहादुरी ने उनकी कम्पनी में जोश भर दिया और उन्होंने कड़ा जवाब देते हुए दुश्मन को पीछे धकेल दिया। इस लड़ाई में पाकिस्तानी फौज को काफी नुकसान पहुंचा था और बड़ी तादाद में सैनिक मारे गये थे।

जब अपने साथियों के शव छोड़कर भागा दुश्मन

17 दिसम्बर को दुश्मन बड़ी तादाद में हथियारों और साजो-सामान के साथ लौटा। बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद मेजर दहिया अपनी कम्पनी का मनोबल बढ़ाने के लिए एक ट्रेंच से दूसरे ट्रेंच में जाते रहे और साथियों को दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिए प्रेरित करते रहे।

इस दौरान एक ग्रेनेड मीडियम मशीनगन पिट के पास गिरा, जिससे उसे चलाने वाले सैनिक शहीद हो गये। यह मशीनगन दुश्मन के लिए काल की तरह थी। लिहाजा, मेजर दहिया दुश्मन की गोलियों के बीच अपनी जान की परवाह ना करके मशीनगन पिट तक पहुंच गये। इस कोशिश में जख्मी होने के बावजूद उन्होंने मशीनगन से दुश्मन के दर्जनों सैनिकों को मार गिराया।

इस भीषण लड़ाई के बाद पाकिस्तानी फौज में अफरा-तफरी मच गई। दहशत इस कदर थी कि अपने कमांडिंग ऑफिसर और तीन अन्य अफसरों समेत 85 सैनिकों के शवों को छोड़कर भाग गई। मेजर होशियार सिंह ने गम्भीर रूप से घायल होने के बावजूद युद्ध विराम तक अपनी पोस्ट को नहीं छोड़ा।

शकरगढ़ की लड़ाई में अदम्य साहस और कुशल नेतृत्व का मुजाहिरा करने के लिए उन्हें सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया गया।

31 मई 1988 को मेजर दहिया सेनानिवृत्त हो गये और उन्हें कर्नल की ऑनरेरी पदवी से सम्मानित किया गया। 6 दिसम्बर 1998 को कार्डियत अरेस्ट के कारण उनका निधन हो गया था। जयपुर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

2017 में आई मलयालम फिल्म 1971- बियॉन्ड बॉर्डर्स में मोहनलाल का किरदार मेजर सहदेवन मेजर होशियार सिंह दहिया से प्रेरित था।