मुंबई। 25 Years Of Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi: साल 2000 छोटे पर्दे के लिए क्रांतिकारी दौर था। छोटा पर्दा पांव पसार कर बड़ा हो रहा था। निजी चैनलों ने आम दर्शक के ड्राइंग रूम में जगह बना ली थी। मगर, चैनलों को ऐसे धारावाहिक की खोज थी, जो रामायण और महाभारत की तरह व्यूअरशिप का कीर्तिमान बना सके।
स्टार प्लस की यह खोज साल 2000 में कौन बनेगा करोड़पति और क्यूंकि सास भी कभी बहू थी पर खत्म हुई। फिलहाल हम बात करेंगे क्यूंकि… की, जिसके पहले प्रसारण को आज यानी 3 जुलाई को 25 साल पूरे हो रहे हैं।
एकता कपूर के बालाजी टेलीफिल्म्स द्वारा निर्मित शो ने टीआरपी से लेकर देश के मध्यमवर्गीय परिवारों के दिलों में ऐसी जगह बनाई, जिसने छोटे पर्दे की दशा और दिशा को बदलकर रख दिया। 6 नवम्बर 2008 तक प्रसारित हुए 1833 एपिसोड्स के दौरान शो ने कई यादगार पल जुटाये।
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‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की दिलचस्प बातें
मुंबई में बसी गुजराती विरानी फैमिली की कहानी अपने किरदारों के प्रस्तुतिकरण को लेकर बहस के दायरे में आया तो कभी कलाकारों की आवाजाही को लेकर खबरों में रहा। शो को कुछ दृश्यों के कारण कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी। क्यूंकि सास भी कभी बहू थी के 25वें पड़ाव (25 Years Of Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi) पर इससे जुड़ी कुछ खास बातें और यादें।
- धारावाहिक में मिहिर विरानी (अमर उपाध्याय) की मृत्यु की कहानी ने दर्शकों में हंगामा मचा दिया। मिहिर की मौत को एक राष्ट्रीय त्रासदी की तरह देखा गया, और प्रशंसकों ने सड़कों पर प्रदर्शन किए। दबाव के कारण निर्माताओं को मिहिर को कहानी में वापस लाना पड़ा, जिसने धारावाहिक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।

- 2007 में स्मृति ईरानी ने तुलसी के किरदार से अस्थायी रूप से बाहर होने का फैसला किया, और उनकी जगह गौतमी कपूर को लाया गया। इस बदलाव से दर्शकों में नाराजगी फैली, और टीआरपी में गिरावट आई। स्मृति की वापसी के बाद भी यह विवाद चर्चा में रहा।
- धारावाहिक पर रूढ़िगत और पितृसत्तात्मक मूल्यों को बढ़ावा देने का आरोप लगा। तुलसी को आदर्श बहू के रूप में दिखाया गया, जो हर स्थिति में परिवार के लिए बलिदान देती थी। आलोचकों ने इसे महिलाओं के लिए अवास्तविक और दमनकारी छवि बताया, जो आधुनिक महिलाओं की स्वतंत्रता के खिलाफ था।
- शो की अतिशयोक्तिपूर्ण कहानी और बार-बार टाइम लीप ने आलोचकों की नाराजगी बटोरी। 1833 एपिसोड्स में कई पीढ़ियों की कहानी को शामिल करना और बार-बार पुनर्जन्म जैसे तत्वों ने इसे अवास्तविक और हास्यास्पद बना दिया।
- मिहिर के किरदार के लिए पहले जिग्नेश गांधी को चुना गया, फिर अमर उपाध्याय और बाद में इंदर कुमार व रोनित रॉय ने यह भूमिका निभाई। इन बदलावों ने दर्शकों में भ्रम पैदा किया और कहानी की निरंतरता पर सवाल उठे।
- 2007 में स्मृति के शो छोड़ने के बाद एकता कपूर के साथ उनके मतभेद की अफवाहें उड़ीं। हालांकि दोनों ने बाद में इन अफवाहों को खारिज किया और अपनी दोस्ती को सोशल मीडिया पर प्रदर्शित किया, लेकिन यह उस समय सुर्खियों में रहा।

- धारावाहिक पर अंधविश्वास और धार्मिक रूढ़ियों को बढ़ावा देने का आरोप लगा। कहानी में पूजा-पाठ, मंदिर और कर्मकांडों पर अत्यधिक जोर ने इसे रूढ़िवादी बताया। कुछ आलोचकों ने इसे सामाजिक प्रगति के खिलाफ माना।
- धारावाहिक में खलनायकों जैसे तृप्ति विरानी और अंश गुजराल को अत्यधिक नकारात्मक दिखाया गया। इन किरदारों की चालबाजियां और साजिशें इतनी अतिशयोक्तिपूर्ण थीं कि दर्शकों ने इसे अवास्तविक माना।
- क्योंकि सास भी कभी बहू थी की अभूतपूर्व टीआरपी (मई 2001 में 22.4) ने इसे सबसे लोकप्रिय धारावाहिक बनाया। हालांकि, कुछ आलोचकों ने दावा किया कि टीआरपी में हेरफेर किया गया, क्योंकि इसकी लोकप्रियता ने अन्य शो को पीछे छोड़ दिया था।
- 1833 एपिसोड्स के साथ यह धारावाहिक भारतीय टेलीविजन का सबसे लंबा दैनिक धारावाहिक बना। हालांकि, आलोचकों ने इसे अनावश्यक रूप से खींचने का आरोप लगाया, जिसने कहानी को दोहराव और उबाऊ बना दिया। 2008 में कम टीआरपी (2.5 टीवीआर) के कारण इसे बंद करना पड़ा।
- 2005 से अफगानिस्तान के टोलो टीवी पर धारावाहिक को डारी भाषा में डब करके प्रसारित किया गया, जो वहां पहला भारतीय टीवी धारावाहिक था और इसे भारी लोकप्रियता मिली। हालांकि, 2008 में शो की सामग्री को लेकर कई शिकायतों के बाद इसे और अन्य भारतीय धारावाहिकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- 2001 में गुजरात में भूकम्प के बावजूद लोग टीवी खोलकर बैठे थे, ताकि एपिसोड मिस ना हो।

आठ साल के रन में शो को लेकर कुछ विवाद भी हुए थे। इनमें सबसे चर्चित लिंग निर्धारण और मैरिटल रेप दिखाने के विवाद हैं।
Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi के पांच बड़े विवाद
लिंग निर्धारण टेस्ट का विवाद
फरवरी 2002 में, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने स्टार टीवी और बालाजी टेलीफिल्म्स के खिलाफ अंधेरी पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज करवाई। 5 फरवरी 2002 को प्रसारित एक एपिसोड में पूजा नामक किरदार को अपने अजन्मे बच्चे का लिंग निर्धारण टेस्ट करवाते और डॉक्टर द्वारा बच्चे के बेटा होने पर उसे प्रोत्साहित करते दिखाया गया था।
देश में 1994 के प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन एंड प्रिवेंशन ऑफ मिस्यूज) एक्ट के तहत यह टेस्ट अवैध है। कई गैर-सरकारी संगठनों और राज्य महिला संगठनों ने इस दृश्य के खिलाफ विरोध दर्ज किया।
एकता कपूर और स्टार से माफी मांगने को कहा गया, जिस पर कपूर ने कहा, “यह जानबूझकर नहीं किया गया था। स्क्रिप्ट लेखक की ओर से थोड़ी चूक हुई।” स्टार ने इसे एक वास्तविक गलती बताकर अगले एपिसोड में माफी मांगी।
मैरिटल रेप का दृश्य
नवंबर 2004 में, राष्ट्रीय महिला आयोग ने एकता कपूर को समन भेजा और स्टार को नोटिस जारी किया गया, क्योंकि 14 अक्टूबर 2004 को प्रसारित एपिसोड में नंदिनी के किरदार के साथ अंश गुजराल द्वारा 15 मिनट तक मैरिटल रेप का दृश्य दिखाया गया था।
कई महिला संगठनों ने इसे सभी आयु वर्ग के दर्शकों के लिए संवेदनशील माना। एकता के वकील ने कहा कि वे 1 दिसंबर 2004 को एपिसोड की कॉपी के साथ उपस्थित होंगे, जबकि चैनल ने दावा किया कि उनके कार्यक्रम सामान्य दर्शकों के लिए हैं।
मर्सी किलिंग का दृश्य
जनवरी 2006 में, अंधेरी में बालाजी टेलीफिल्म्स के कार्यालय के सामने तुलसी द्वारा सविता के किरदार की मर्सी किलिंग (जो तब भारत में अवैध थी) दिखाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। कपूर ने कहा, “मैंने मैरिटल रेप को दिखाया तो मर्सी किलिंग क्यों नहीं? टीवी काल्पनिक है, और हम सामाजिक मुद्दों को उठा रहे हैं। अगर कोई समस्या है, तो मेरा कानूनी विभाग इसका ध्यान रखेगा।”
धार्मिक आस्था के खिलाफ संवाद
जनवरी 2008 में, खलनायिका स्वर्णा झा (तृप्ति) द्वारा बोला गया संवाद “You and your God, go to hell” भगवान विष्णु के खिलाफ माना गया, जिसने कई लोगों और वैष्णव समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। जूनागढ़ में पुजारियों और वैष्णव अनुयायियों ने विरोध और रैलियां कीं, और बालाजी टेलीफिल्म्स, एकता कपूर और स्वर्णा झा से माफी की मांग की।
पुलकित सम्राट का विवाद
फरवरी 2008 में, लक्ष्य का किरदार निभाने वाले पुलकित सम्राट को कोर्ट से नोटिस मिला, क्योंकि वो शूटिंग से गैरहाजिर हो गये थे और प्रोडक्शन हाउस की कॉल्स का जवाब नहीं दे रहे थे। पुलकिस ने कहा था कि वह नियमित रूप से शूटिंग में जाते थे, लेकिन ज्यादातर समय खाली बैठे रहते थे और मामूली दृश्यों में काम करते थे, इसलिए वह अन्य धारावाहिकों में काम करना चाहते थे।
उन्होंने प्रोडक्शन हाउस से बकाया भुगतान और कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों (जो उन्हें अन्य प्रोडक्शन हाउस के लिए काम करने से रोकती थीं) की शिकायत की थी। कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें धारावाहिक और प्रोडक्शन हाउस से मुक्ति मिली।
क्यूंकि सास बहू थी की लोकप्रियता का असर संसद तक दिखा, जब 2009 में बहस के दौरान शो पर सामाजिक बुराइयों को हवा देने का आरोप लगाया गया था।
(सभी बिंदु विभिन्न समाचार सोर्सेज से लिये गये हैं)