‘क्वीन’ ने कर दी ‘रज्जो’ की भरपाई

डायरेक्टर विकास बहल और कंगना राणावत।
डायरेक्टर विकास बहल और कंगना राणावत।

क्या हसीन इत्तेफ़ाक़ है! इस शुक्रवार को दो वूमेन ओरिएंटिड फ़िल्में रिलीज़ हुईं- ‘गुलाब गैंग’ और ‘क्वीन’। ‘गुलाब गैंग’ की लीडिंग लेडी माधुरी दीक्षित हैं, जिनका स्क्रीन नेम रज्जो  है। जबकि ‘क्वीन’ की लीडिंग लेडी कंगना राणावत हैं, जिनकी पिछले साल आई फ़िल्म का टाइटल ‘रज्जो’ था, और फ़िल्म में कंगना के क़िरदार का नाम भी यही था।

अब जबकि, माधुरी पर्दे पर रज्जो  बनकर उतरीं हैं, तो कंगना ‘क्वीन’ यानि रानी  बन गईं हैं, और यक़ीन मानिए क्वीन बनकर उन्होंने उस नुक़सान की भरपाई कर ली है, जो कंगना को रज्जो बनकर हुआ था। कंगना के करियर की शानदार और यादगार फ़िल्मों में शुमार होगी ‘क्वीन’। ‘फैशन’ और ‘तनु वेड्स मनु’ के बाद इतनी सधी हुई परफॉर्मेंस कंगना ने ‘क्वीन’ में दी है।

‘क्वीन’ में कंगना ने एक्टिंग नहीं की है, अपने क़िरदार (रानी) को जिया है। ऐसी लड़की, जिसकी शादी ऐन मौक़े पर टूट गई हो, वो टूटे दिल के साथ अकेले हनीमून पर जाने का फ़ैसला करती है, क्योंकि ये उसका और उसके मंगेतर का प्लान था। दिल्ली के राजौरी गार्डन को अपनी दुनिया समझने वाली रानी पेरिस और एम्स्टरडम की सैर पर निकल पड़ती है।

रानी की मानसिक हालत का अपनी बॉडी लैंग्वेज के ज़रिए कंगना ने जो खाका खींचा है, वो कमाल का है। फ़िल्म की सबसे अच्छी बात ये है, कि कंगना का करेक्टर जिस खांचे में फिट किया गया है, वो उस खांचे में ही रहता है।

दिल्ली के मिडिल क्लास फैमिली की लड़की, जिसे इंगलिश भी कामचलाऊ बोलना आता हो, जब पेरिस जैसे अत्याधुनिक और फ्रेंच स्पीकिंग शहर में जाएगी, तो उसकी बॉडी लैंग्वेज क्या होगी, वो कैसे बात करेगी, अपने साथ होने वाली घटनाओं पर कैसे रिएक्ट करेगी। इन बिंदुओं पर कंगना ने बारीकी से काम किया है, और इसके लिए डायरेक्टर विकास बहल भी बधाई के पात्र हैं।

हालांकि, कंगना और फ्रेंच के बीच खींचतान देखकर इंग्लिश-विंग्लिश की याद आती है, लेकिन तुलना बस यहीं तक सीमित है। कंगना के अलावा ‘क्वीन’ की एक और ख़ासियत है। इसकी एंसांबल कास्ट- राजकुमार राव, लीज़ा हेडन, कंगना के पिताजी, मां, भाई, दादी या फिर पेरिस और एम्स्टरडम में मिले विदेशी साथी, सभी ने रानी के क़िरदार को कांप्लीमेंट किया है।

फ़िल्म के ज़्यादातर दृश्यों में ह्यूमर अंडर करेंट रहता है, जिसे डायरेक्टर ने किसी डायलॉग में पिरोने के बजाए, दिखाकर गुदगुदाया है। ऐसे दृश्यों को असरदार बनाने में बैकग्राउंड म्यूज़िक ने भी काफी मदद की है। आप कंगना के फैन हों या ना हों, लेकिन ये क्वीन आपको निराश नहीं करेगी।