‘A सर्टिफिकेट’ से नहीं ‘Cuts’ से डर लगता है साहब!

मुंबई: फ़िल्ममेकर्स के बीच A सर्टिफिकेट को लेकर जो झिझक थी, वो अब कम होती दिख रही है। ज़्यादा से ज़्यादा फ़िल्ममेकर्स अपनी फ़िल्म में काट-छांट करने का बजाए एडल्ट सर्टिफिकेट को तरजीह दे रहे हैं। ताज़ा मिसाल हैं डायरेक्टर श्रीराम राघवन, जिन्होंने सेंसर बोर्ड के निर्देशों के हिसाब से अपनी फ़िल्म ‘बदलापुर’ को बदलने के बजाए खुशी-खुशी A सर्टिफिकेट ले लिया।
आपको बताते चलें, कि सेंसर बोर्ड ने ‘बदलापुर’ में वरूण धवन और यामि गौतम पर फ़िल्माए गए बेडरूम दृश्यों के साथ हिंसा को भी कम करने के लिए कहा था। सूत्रों के मुताबिक नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी और वरूण धवन पर पिक्चराइज़ कुछ सीन बेहद क्रूर और खूनी हैं। सेंसर बोर्ड इन दृश्यों को हटाने के बाद फ़िल्म को U/A सर्टिफिकेट देने को राज़ी था, पर राघवन ने समझौता नहीं किया।
Varun Yami Badlapur
‘बदलापुर’ दरअसल वरूण और उनकी पत्नी बनीं यामि गौतम के बीच भावनात्मक रिश्ते और नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी से बदले की कहानी है, जो यामि की मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं। वरूण की ये पहली फ़िल्म है, जिसे एडल्ट सर्टिफिकेट मिला है। पिछले साल यशराज बैनर की फ़िल्म ‘मर्दानी’ को भी अत्याधिक हिंसा की वजह से A सर्टिफिकेट दिया गया था, जिसे बैनर ने स्वीकार कर लिया।
grand masti
इनके अलावा ‘ग्रांड मस्ती’ और ‘क्या सुपर कूल हैं हम’ जैसी कॉमेडी फ़िल्मों को भी उनके डबल मीनिंग डायलॉग्स और उत्तेजक दृश्यों की वजह से A सर्टिफिकेट दिया गया। लेकिन इन फ़िल्ममेकर्स ने कोई शिकायत नहीं की, क्योंकि फ़िल्मों के केंटेंट को एडल्ट दर्शकों के हिसाब से ही बनाया गया था।
A सर्टिफिकेट को लेकर फ़िल्ममेकर्स की बदली हुई सोच की मिसाल ‘गो गोवा गोन’ भी है। 2013 में रिलीज़ हुई इस हॉरर कॉमेडी फ़िल्म के म्यूज़िक लांच में फ़िल्म के निर्माता सैफ़ अली ख़ान ने कहा था- “हमारा मिशन यही है, कि फ़िल्म को भले ही A सर्टिफिकेट मिल जाए, लेकिन बैन ना हो।” दिलचस्प पहलू ये भी है, कि जिन फ़िल्मों को सेंसर बोर्ड ने A सर्टिफिकेट दिया है, उनमें से ज़्यादातर बॉक्स ऑफ़िस पर क़ामयाब रही हैं।